Monday, May 24, 2010

                                                  आरती गरुड़ गोविन्द जी की ॐ जय गोविन्द स्वामी,-२, जो कोई तुमको ध्यावे-२,
मनवांछित फल पावे |जय अन्तर्यामी|| जय गोविन्द स्वामी||
श्याम स्वरूप सलोनो,मुरली मुख धारी |गरुड़ पे आप विराजो जय संकटहारी||ॐ जय गोविन्द स्वामी ||
यदुकुल में ले जन्म,अनेकन लीला विस्तारी |आदि अंत ते परे प्रभु के चरनन बलिहारी ||ॐ जय गोविन्द स्वामी ||
भक्तन के हित तुमने, रूप अनेक धरे |जो कोई तुमको भूले सो भव सिन्धु परे ||ॐ जय गोविन्द स्वामी ||
लक्ष्मी सहित सुशोभित षडंग वन वासो |जो कोई तुमको ध्यावे सब संकट नासो ||ॐ जय गोविन्द स्वामी ||
 भक्त तुम्हारे निशि दिन तुम्हारो ध्यान धरें |पूजा करें तुम्हारी संकट सकल टरे |ॐ जय गोविन्द स्वामी ||
गौतम वंशी ब्राह्मण  'व्योम' ब्रह्मचारी | द्वादश भुज वारे की आरती उच्चारी ||ॐ जय गोविन्द स्वामी ||

Pt.VYOM KRISHNA
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Shri Garud Govind Stotra

                                                  अथ गरुड़ गोविन्द स्तोत्र
एकदा सुखमासीनम गर्गाचार्य मुनीश्वरम | बहुलाश्वः परिपपच्छः सर्व शास्त्र विशारदम ||१||
श्रीमद गरुड़ गोविन्द स्तोत्रं कथयामे प्रभो |एतब्दी ज्ञान मात्रेण भुक्ति मुक्ति प्रजायते ||२||
गर्गोवाच-
श्रणु राजन प्रवक्ष्यामि गुह्यादी गुह्यतरं परम |एतब्दी ज्ञान मात्रेण सर्व सिद्धि प्रजायते ||३||
गोविन्दो गरुदोपेतो गोपालो गोप बल्लभ |गरुड़गामी गजोद्धारी गरुड़वाहन ते नमः ||४||
गोविन्दः गरुडारूद गरुड़ प्रियते नमः |गरुड़ त्रान कारिस्ते गरुड़ स्थितः ते नमः ||५||
गरुड़ आर्त हरः स्वामी ब्रजबाला प्रपूजकः |विहंगम सखा श्रीमान गोविन्दो जन रक्षकः ||६||
गरुड़ स्कंध समारुड भक्तवत्सल! ते नमः |लक्ष्मी गरुड़ सम्पन्नः श्यामसुन्दर ते नमः ||७||
द्वादशभुजधारी च द्वादश अरण्य नृत्य कृत |रामावतार त्रेतायां द्वापरे कृष्ण रूप ध्रक ||८||
शंख चक्र गदा धारी पद्म धारी जगत्पति |क्षीराब्धि तनया स्नेह पूर्णपात्र रस व्रती ||९||
पक्शिनाम लाल्पमानाय स व्यपाणीतले नहि |पुनः सुस्मित वक्राय नित्यमेव नमो नमः ||१०||
ब्रजांगना रासरतो ब्रजबाला जन प्रियः |गोविन्दो गरुडानंदो गोपिका प्रणपालकः ||११||
गोविन्दो गोपिकानाथो गोचारण तत्परः |गोविन्दो गोकुलानान्दो गोवर्धन प्रपूजकः ||१२||
श्रीमद गरुड़ गोविन्दः संसार भय नाशनः |धर्मार्थ काम मोक्षानाम खल्विदं साधनं महत ||१३||
ध्यानं गरुड़ गोविन्दस्य सदा सुखदम न्रनाम |रोग क्लेशादीहारिः श्री धनधान्य प्रपद्यकः ||१४||
श्रीमद गरुड़गोविन्द स्मार्कानामयम स्तवः |पुत्र पौत्र कलत्रानाम धन धान्य यशस्कर ||१५||
गोविन्द! गोविन्द! विहंगयुक्त! नमोस्तुते द्वादश बाहू युक्त |गोविप्र रक्षार्थ अवतार धारम,लक्ष्मीपते नित्यमथो नमस्ते ||१६||
वृन्दावन विहारी च रासलीला   मधुव्रतः |राधा विनोद कारिस्ते राधाराधित ते नमः ||१७|
गोलोक धाम वास्तको वृषभानु सुता प्रियः |विहंगोपेंद्र नामे दंता पत्रे विनाशनम ||१८||
गरुड़ अभिमान  हर्ता च गरुड़ आसन संस्थितः |वेणु वाद्यमहोल्लास वेणुवाहन तत्परः ||१९||
भक्त्स्यानंदकारी स्वभक्त प्रियते नमः |माधव गरुड़ गोविन्द करूणासिन्धवे नमः ||२०||
इदं स्तोत्रं पठित्वा तु द्वादशाक्षर मंत्रकम |अथवा गरुड़ गायत्री धयात्वा सम्पुटमेव हि ||२१||
श्रीमद गरुड़ गोविन्द नाम मात्रेण केवलं |अपस्मार विष व्यालं  शत्रु बाधा प्रनश्यती ||२२||
अधुना गरुड़ गोविन्द गायत्री कथयाम्यहम-:
 भूर्भुवः स्वः तत्पुरुषाय विद्महे गरुड़ गोविन्दाय धीमहि तन्नो गोविन्द प्रचोदयात ||२३||अथ गरुड़ गायत्री ||
ॐ भूर्भुवः स्वः तत्पुरुषाय विद्महे स्वर्ण पक्षाय धीमहि तन्नो गरुड़ प्रचोदयात ||२४||अथ द्वादशाक्षर मंत्र ||
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ||
इति श्रीमद गरुड़ गोविन्द स्तोत्र समापतम |

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Pt.VYOM KRISHNA